...प्यार प्यार प्यार के आगे झुका मौत...
तेरी जुदाई के गम ने किया हाल बेहाल मेरा...
मौत को गले लगाने तेरा ये आशिक था चला...
मौत को खुद मुझ पर तरस खाते देखा मैंने आज...
मौत भी हस कर कहने लगी मुझसे...
तुझे मारने की चाह रखता हूँ मैं...
पर हाल बेहाल से मरे हुए,ऐ इन्सान तुझे क्या मारूं मैं ...
होगी लड़की वो परियों से भी हसीं...
जिस पर दिल-ओ-जान- से मर मिटा है तू...
तू है सच्चे आशिक की निसान...
इस लिए,ओ दीवाने करता हूँ तुझ पर एक आखरी एहसान...
इस लिए,ओ दीवाने करता हूँ तुझ पर एक आखरी एहसान...
जा पूरी कर ले अपनी अधूरी दास्ताँ...
नहीं कर पाया अगर इस बार तू पूरी अपनी अधूरी दास्ताँ...
तो याद रखना में (मौत) कर रहा हूँ तेरा इंतज़ार...
खुदा ने दिया है मुझको क्यूँ ऐसा काम...
तो याद रखना में (मौत) कर रहा हूँ तेरा इंतज़ार...
खुदा ने दिया है मुझको क्यूँ ऐसा काम...
जब प्यार भी है उसी खुदा की पहचान...
मौत को खुद मुझ पर तरस खाते देखा मैंने आज...
सच्चे आशिक याद रखो बस एक ही बात...
प्यार उम्मीद है और उम्मीद ही प्यार है...
चाहे मंजिल हो काटों से भरी दर्दनाक...
चाहे मंजिल हो काटों से भरी दर्दनाक...
या हो फूलों से सजी आसान ...
nice poem..........
ReplyDeletethnxs a lotttt.....
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