Sunday, 4 March 2012

...क्या जमाना था...

...क्या जमाना था...

 ...एक जमाना था...
...साथ थे वो...
...साथ थे हम...
...साथ था हमारा प्यार...
...साथ था जमाना...
...खुबसूरत था आज , खुबसूरत कल का था हमें इंतज़ार...
...क्या जमाना था...


 ...बदला जमाना...
...बदले वो...
...बदला उनका प्यार...
...ना बदला तो बस...
...मैं...
...और...
...मेरा सच्चा प्यार...
...तकलीफ मे काट रहा था मैं मेरा आज...
...व्यर्थ कोशिश कर रहा था मैं बार बार...
...लौट कर ना आई वो मेरे पास...
...उनको था उनके निर्णय पर अटल विशवास...
...ना था तो बस मेरे सच्चे प्यार का एहसास...
...खो चूका था मैं मेरी सारी आस...
...खुबसूरत कल का अब न था मुझको इंतज़ार.. 
...क्या जमाना था...


...फिर एक जमाना आया..
...हुआ उनको अपनी गलती का एहसास...
...हुआ उनको मेरे सच्चे प्यार पर विशवास...
...वापस बदला जमाना और बदले वो...
...वापस आया उनके दिल मे मेरे लिए उनका खोया प्यार...
...कुछ ना कर पाया बदला जमाना...
...कुछ ना कर पाए बदले वो...


 ...मैं तो कब का छोड़ चूका था जमाना...
...नहीं था इतना सहास मुझमे की कर पता...
...मैं उनका और पहले बदले ज़माने का सामना...


  ...सच्चे आशिकों...
...प्यार खोना...आस नहीं...सच्चे प्यार की ताकत नहीं...
...सच्चा प्यार...
...हमेशा सच्चा और पूरा होता है... 
 चाहे ...जितना हो बुरा आज...
कल ...हमेशा होगा आपका प्यार आपके साथ... 
क्यूँकी ...खुदा ने खुद अपने हाथों से किया है...
...सच्चे आशिकों और सच्चे प्यार का निर्माण...

 

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