Friday, 2 March 2012

...वो क्या समझेगी मेरी बातें...


...सोच कर, आज भी बीती बातें...
...कट जाती है बिना पलके झुके, मेरी सारी रातें...
...आँखों के सामने आ जातें हैं, हमारी पुरानी यादें...
...कभी हसने तो कभी रोने लगता हूँ, मै तेरे नाते...
...करने लगता हूँ अपने आप से जाने क्या क्या बातें???
...दिमाग कहता है मेरे दिल को, अरे ओ दीवाने...
...पहले तो नहीं माना था, तू मेरी बातें...
...अब खुद के साथ मुझको भी तडपा ले...
...ठोकर मिली, अब तो मेरा कहा मान ले...
...लौट कर वापस वो नहीं आने वाली...
...चाहे जितना भी तू उसे माना ले...
...अब बंद कर तू गीली करनी अपनी आँखें...   
...क्यूँ बरबाद करता है तू अपनी ज़िन्दगी उसके नाते...
...जिसने कभी कदर नहीं की तेरे और तेरे सच्चे प्यार की...
...वो क्या समझेगी तेरी बातें...


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